दो बैलों की कथा पाठ का सारांश 


इस कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद हैं।

संसार के सभी जानवरों में गधे को उसके सीधापन व सहनशीलता के कारण सबसे बुद्धिहीन प्राणी समझा जाता है। क्योंकि सुख-दुख , अच्छे बुरे व हानि-लाभ में गधों का भाव एक समान ही रहता है।उनमें ऋषि-मुनियों के लगभग सभी गुण पाए जाते हैं जैसे सरल , सीधे , सहनशील , क्रोध रहित आदि। बस थोड़ी कमी रह जाती हैं विद्व्त्ता व ज्ञान की। यानी आप उसे बुद्धिहीन प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दे सकते हैं।

बुद्धिहीन प्राणियों में दूसरे स्थान पर बैलों को रखा जा सकता है। जो कभी कभी अपना क्रोध प्रकट कर देते हैं। और मुंशी प्रेमचंद जी की यह कहानी दूसरी श्रेणी के उन्हीं बुद्धिहीन प्राणियों की हैं। 

Do Bailon Ki Katha Class 9 Summary 

झुरी एक किसान था। जिसके पास हीरा और मोती नाम के दो बैल थे। वे दोनों ही ऊँचे डील-डौल व  सुंदर कद-काठी के पछाहीं जाति के बैल थे। लंबे समय से एक–दूसरे के साथ रहते-रहते दोनों में अच्छा भाईचारा भी हो गया था।

वो कभी एक-दूसरे को चाटकर तो कभी सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे । दोनों आखों के इशारे से ही एक-दूसरे की बात भी समझ लेते थे।और कभी-कभी दोनों आपस में सींग भी मिला लिया करते थे लेकिन झगड़ने के लिए नहीं बल्कि यूं ही मजाक में । 


एक बार झुरी ने अपने दोनों बैलों को अपने साले “गया” के साथ काम के लिए अपनी ससुराल भेज दिया। हीरा और मोती दोनों ही यह समझ रहे थे कि झूरी ने उन्हें बेच दिया है।इसीलिए वो गया के साथ जाना नहीं चाहते थे।

मगर उन्हें जबरदस्ती गया के साथ उसके घर जाना पड़ा। दिनभर चलते-चलते थके हारे हीरा और मोती जब गया के घर पहुंचे तो , वो मन ही मन बहुत दुखी थे। वो सोच रहे थे कि जिस मालिक और घर को उन्होंने अपना समझा , आज उसने ही उन्हें बेच दिया। 

यहां तो उनके लिए सब कुछ नया है। अब दोनों ने अपनी मूक भाषा में एक दूसरे से बात की और रात होने पर , जब सब लोग सो गए।  दोनों ने अपनी -अपनी रस्सियों तोड़ डाली और अपने घर की तरफ चल दिये।

सुबह जब झुरी उठकर बाहर आया तो , अपने दोनों बैलों को दरवाजे पर देखकर खुश हो गया। उसने देखा कि दोनों बैल घुटनों तक कीचड़ से सने हुए थे और आधी रस्सी उनके गले में लटक रही थी। दोनों की आंखों में उसके लिए गुस्सा और स्नेह दोनों था। झूरी ने दौड़कर दोनों बैलों को गले से लगा लिया। 

लेकिन झूरी की पत्नी बैलों को अपने दरवाजे पर देखकर नाराज हो गई और उन्हें नमकहराम कहकर गालियां देने लगी। उसने गुस्से में बैलों के आगे सूखा चारा डाल दिया। झूरी ने अपने नौकर से चारे में कुछ खली मिलाने को कहा। लेकिन नौकर ने मालकिन के डर से उसमें खली नहीं मिलाई। 


दूसरे दिन गया दोबारा हीरा–मोती को लेने आ गया। इस बार वह बैलों को पैदल ले जाने के बजाय गाड़ी में ले गया। ताकि वो उसे परेशान न कर सके। रास्ते में एक-दो बार मोती ने गाड़ी को खाई में गिराना चाहा लेकिन हीरा ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया। हीरा काफी समझदार था। वह जानता था कि अगर गाड़ी खाई में गिरी तो उनको भी चोट लग सकती हैं। 

घर पहुंच कर उन्हें मोटी–मोटी रस्सियों से बाँध दिया गया और खाने को सूखा चारा डाल दिया गया। दोनों ने इसे अपना अपमान समझा और चारे को मुंह तक नहीं लगाया। अगले दिन गया उनको खेत जोतने के लिए लेकर गया। हीरा–मोती ने हल खींचने से मना कर दिया। दोनों को खूब मारा पीटा लेकिन दोनों टस से मस नहीं हुये।

शाम को फिर से उन्हें मोटी-मोटी रस्सियों से बांध दिया गया और उनके आगे फिर से सूखा भूसा डाल दिया गया। लेकिन दोनों ने कुछ नहीं खाया।जब रात को घर के सब लोग खाना खा रहे थे। तभी भैरों की नन्हीं लड़की दो रोटियाँ लेकर आई। और उन्हें खिला गई। जिसे खाकर उन्हें संतोष हुआ।

लड़की की सौतेली माँ थी जो उसे बहुत परेशान करती थी।लड़की रोज आती और उन्हें दो रोटियां खिला कर जाती। इससे उन दोनों को उस लड़की से स्नेह हो गया था। हीरा और मोती दिन भर काम करते हैं और रात को सूखा भूसा उनके सामने फेंक दिया जाता था।

इसी तरह कुछ दिन गुजर गए। एक रात दोनों ने रस्सियाँ तोड़कर भागने का तैयारी कर ली। वो रस्सियों को तोड़ने के लिए उसे चबाने लगे।मगर रस्सी काफी मोटी थी। इसीलिए वह आसानी से नहीं टूटी। तभी वह लड़की आई और उसने दोनों की रस्सियाँ खोल दीं। किन्तु हीरा–मोती लड़की के स्नेह के कारण नहीं भाग सके।लड़की ने अचानक शोर मचाना शुरू कर दिया।

लड़की की आवाज सुनकर हीरा-मोती भाग खड़े हुए।गया तथा गाँववालों ने उनका दूर तक पीछा किया।लेकिन हीरा-मोती अपनी पूरी ताकत के साथ भागने लगे। और इसी चक्कर में वो अपना रास्ता ही भटक गये।

और काफी दूर निकल गए। दोनों अपनी आजादी का जश्न मना ही रहे थे कि अचानक दूर से एक साड़ उनके आगे आ गया। दोनों की समझ में नहीं आ रहा था कि अब साड़ से कैसे मुकाबला किया जाय ।

खैर दोनों ने मिलकर बढ़िया रणनीति के तहत उस पर आक्रमण किया। साड़ जब एक बैल पर आक्रमण करता तो , दूसरा बैल पीछे से उसे मार देता। और यह काफी देर तक चलता रहा। साड़ भी दो–दो बैलों से एक साथ लड़ने का आदी नहीं था।तभी मोती ने उसके पेट में अपना सींग घुसा दिया। जिससे वह बेदम होकर गिर पड़ा। हीरा-मोती को उस पर दया आ गई। वो उसे अधमरा छोड़ कर आगे बढ़ गये ।

तभी उन्हें सामने मटर का खेत दिखाई दिया। भूख तो लगी थी सो हीरा के मना करने के बाद भी मोती मटर खाने लगा। अभी उन्होंने कुछ ही मटर खायी थी कि दो आदमी लाठी लेकर वहाँ आ गए । उन्हें देखकर दोनों ने भागने की कोशिश की किन्तु कीचड़ में फँसने के कारण भाग न पाए और पकड़े गये । 

उन लोगों ने उन्हें पकड़कर कांजीहौस में बंद करवा दिया।कांजीहौस पहुंच कर उन्होंने देखा कि वहां पहले से ही कई और जानवर जैसे घोड़े , भैंस , बकरियां भरे पड़े थे । उनमें से कुछ बहुत कमजोर थी , तो कुछ मुर्दा हालत में थी। वहां उन्हें दिन भर कुछ भी खाने को नहीं मिला। रात होने पर हीरा ने मोती से वहां से भागने की बात की। और उसके बाद हीरा ने सींगों से दीवार पर मारना शुरू कर दिया।

काफी मेहनत के बाद हीरा ने आधी दीवार गिरा दी। आधी दीवार के गिरते ही वहां से घोड़े , भैंस और बकरियां भागने लगी लेकिन गधे ज्यों के त्यों अपनी जगह पर खड़े थे। लेकिन मोती ने उन्हें भी सींग मार-मार कर वहां से भगा दिया। लेकिन हीरा खुद नहीं भागा क्योंकि मोती मोटी रस्सी से बंधा था जिसको तोडना मुश्किल था। इसलिए वह मोती के पास आकर बैठ गया। 

अगले दिन चैाकीदार ने यह सब देखा तो उसे हीरा और मोती पर बहुत गुस्सा आया। उसने उन  दोनों की डंडों से खूब पिटाई की और मोटी रस्सी से बाँध दिया। इस तरह हीरा-मोती को कांजीहौस में बंद हुए एक सप्ताह हो गया था। उन्हें खाने -पीने के लिए कुछ नहीं दिया जाता था। दोनों सूखकर कांटा हो गए थे।

एक दिन नीलामी हुई। और एक कसाई ने उन्हें खरीद लिया। नीलाम होकर दोनों उस दढ़ियल कसाई के साथ चले जा रहे थे। तभी हीरा-मोती को लगने लगा कि ये रास्ता उनका जाना पहचाना  हैं। उनके कमजोर शरीर में फिर से जान आ गई। और उन्होंने भागना शुरू कर दिया। भागते-भागते झूरी के घर पहुंच गये। और थान पर अपनी जगह जाकर खड़े हो गए।

झूरी उन्हें देखते ही दौड़ा-दौड़ा आया और उनको गले से लगा लिया। बैल भी झूरी को देखकर काफी खुश थे। तभी दढ़ियल कसाई भी बैलों को लेने वहां आ पहुंचा।  झूरी ने उससे कहा कि ये बैल मेरे हैं। इस पर कसाई कहने लगा कि मैंने इनको नीलामी से खरीदा है।इसीलिए ये मेरे हैं।

और वह बैलों को जबरदस्ती ले जाने के लिए जैसे ही उनकी तरफ बढ़ा । मोती ने उसे सींग से मारना शुरू कर दिया और फिर उसे भगा-भगा कर गाँव से बाहर कर दिया। उसके बाद झूरी ने नादों को खली , भूसा , चोकर और दानों से भर दिया। हीरा-मोती उसे चाव से खाने लगे। इतने में मालकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिए। 

Do Bailon Ki Katha Class 9


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